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हिन्दू संस्कृति



हमारी हिन्दू संस्कृति पूर्णतः विज्ञान से जुड़ी है ।


सूर्य नमस्कार करना-
हिंदू परम्परा के अनुसार तड़के सूर्य को जल चढ़ा कर उसकी पूजा की जाती है. इसके पीछे यह वैज्ञानिक कारण हैं कि सूर्य को जल देते समय सूर्य की किरणें जल से हो कर हमारी आंखो पर पड़ती हैं, जिससे हमारी आंखें स्वस्थ होती हैं।

हाथ जोड़कर प्रणाम करना-
हिन्दू संस्कृति में लोग, अपने हाथ जोड़ कर लोगों का अभिवादन करते हैं जिसे हम नमस्कार कहते हैं। इसका मतलब लोगों को सम्मान देना है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है, जब हम नमस्कार करते हैं तो हमारे हाथों की हथेलियां आपस में जुड़ती हैं जिससे अंगुलियों के माध्यम से एक प्रेशर पैदा होता है, जो हमारी याददाश्त को मजबूत बनाने में सहायक होता है।

चरण स्पर्श करना-
हिंदू धर्म में इसे आस्था और संस्कार के रूप में देखा जाता है लेकिन जनाब इसके पीछे भी एक वैज्ञानिक कारण है, पैर छूने से दो शरीरों के बीच पैर व हाथ के माध्यम से एक सर्किट बनता है जिससे शरीर में कॉस्मिक एनर्जी का आदान-प्रदान होता है।

सर पर चोटी रखना-
हिंदू धर्म में लोग अपने सर के बीच में चोटी रखते हैं। आयुर्वेदाचार्यों ने कहा है कि “हमारे सर के बीच में सेंसटिव स्पॉट होता है जो नर्व का मिडिल सेंटर है और चोटी रखने से वह सुरक्षित रहता है”।

सिंदूर लगाना-
भारत में सिंदूर लगाना शादीशुदा महिलाओं की पहचान है, इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि सिंदूर को बनाने में मर्करी का प्रयोग होता है जिसे मांग में लगाने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित  रखता है।

माथे पर बिंदी लगाना-
माथे पर दो भौंहों के बीच एक नर्व प्वाइंट होता है जिसे आज्ञा चक्र कहा जाता है। यह प्वाइंट हमारी एकाग्रता को नियंत्रित करता है। इस प्वाइंट पर बिंदी लगाने से एकाग्रता शक्ति संतुलित होती है।

कान में छेद करना-
पश्चिम देशों में इसे फैशन के तौर पर देखा जाता है, लेकिन भारतीय संस्कृति में इसकी महत्वपूर्ण उपयोगिता है, भारतीय फिजीशियन और फिलॉसफर्स के अनुसार ऐसा करने से मनुष्य की सोचने व समझने की क्षमता का विकास होता है।

हाथों में चूड़ियां पहनना-
चूड़ियां पहनने से ब्लड सर्कुलेशन नियंत्रित होता है और शरीर से निकलने वाली उर्जा भी बचती है।

हाथ-पैर मे मेंहदी लगाना-
मेंहदी एक औषधीय हर्ब है जिसे लगाने से हमारा शरीर ठंडा रहता है और शादी के समय इसे लगाने से वर-वधु तनाव-मुक्त रहते हैं।

महिलाओ का पैर में बिछुआ पहनना-
पैरों में बिछुआ पहनना शादीशुदा महिलाओं का आइडेंटिफिकेशन ही नहीं है बल्कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। पैर की दूसरी अंगुली नर्व के माध्यम से यूटरस औऱ दिल से जुड़ी होती है। बिछुआ पहनने से प्रेशर के द्वारा यूटरस मजबूत बनता है और Periods के दौरान होने वाले ब्लड सर्कुलेशन को सही तरीके से चलाने में मददगार होता है। चांदी एक अच्छा कंडक्टर है इसलिये चांदी की अंगूठी पहनना ज़्यादा फायदेमंद साबित होता है।

भोजन के बाद मीठा खाना-
हमारे पूर्वज खाने के बाद मीठा या गुड़ खाते थे. इसके पीछे भी एक वैज्ञानिक राज़ है। इससे हमारे पाचक रस और एसिड, एक्टिवेट होकर हमारा डाइजेशन अच्छी तरह से चलाते हैं।

खाना खाते समय पैर समेटकर बैठना-
जब हम दोनों पैरों को समेटकर बैठते हैं तो इसे योगासन की भाषा में सुखासन कहा जाता है, इस अवस्था में बैठकर खाने से शांती मिलती है जो हमारे डाइजेशन के लिए मददगार होती है।

सोते वक़्त उत्तर दिशा की तरफ़ सर न करना-
इसके पीछे यह मान्यता है कि उत्तर की ओर मरे हुए लोगों को लिटाया जाता है। लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी में बहुत बड़ा मैग्नेटिक फील्ड है। मानव में भी एक मैग्नेटिक फील्ड होता है. अगर हम उत्तर की तरफ़ सोयेंगे तो हमारा शरीर और पृथ्वी एक दूसरे के अट्रैक्शन सेन्टर में होंगे। जिससे ब्लड प्रेशर और हेडेक होने की संभावना अधिक होती है।

व्रत रखना-
भारत में व्रत को आस्था से जोड़ कर देखा जाता है लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि मानव शरीर में होने वाले अधिकांश रोगों का मुख्य कारण डाइजेस्टिव सिस्टम में टॉक्सिक मटेरियल का जमा होना होता है। इस प्रकार व्रत रखने से हमारे डाइजेस्टिव ऑर्गन को आराम मिलता है और टॉक्सिक मटेरियल की मात्रा भी कम होती है जिससे हमारा शरीर स्वस्थ होता है।

मंदिर जाना-
मंदिर तो हम सभी जाते हैं लेकिन आपने कभी ये सोचा है कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। जी हां मंदिर की बनावट कुछ इस तरह कि होती है कि पृथ्वी के उत्तर व दक्षिण पोल के द्वारा अधिक मात्रा में पॉजिटिव ऊर्जा का निर्माण होता है जो मनुष्य के लिए बेहद लाभदायक होता है।

मंदिर में घंटी बजाना-
शास्त्रों के अनुसार मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाने से सभी बुरी शक्तियां दूर होती हैं. लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण है कि हमें पूजा करने में एकाग्रता मिलती है. और इसकी आवाज से हमारे शरीर के हीलिंग सेंटर एक्टीवेट होते हैं।

मूर्ति पूजा करना-
अन्य धर्मों की अपेक्षा हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा सबसे अधिक होती है। ऐसा माना जाता है कि मूर्ति पूजा करने से हमारा ध्यान भटकता नहीं है लेकिन वैज्ञानिक कारण देंखे तो ऐसा करने से हमारी स्पिरिचुअल एनर्जी बढ़ती है और एकाग्रता शक्ति का भी विकास होता है।

पीपल के पेड़ की पूजा करना-
हिंदू धर्म में पीपल को भगवान मान कर इसकी पूजा की जाती है। इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण देंखे तो पीपल का पेड़ अन्य वृक्षों के मुकाबले सबसे अधिक ऑक्सीजन देता है जो हमारे जीवन के लिए अति आवश्यक है।

तुलसी के पेड़ की पूजा करना-
हिंदू धर्म में तुलसी को मां कहा जाता है, इसमें वैज्ञानिक कारण हैं कि तुलसी एक महत्वपूर्ण मेडिसिनल प्लांट है। यह हमारे इम्यून सिस्टम, कोलेस्ट्राल, आदि को नियंत्रित करने के साथ कीड़े-मकौड़ों को भी दूर भगाता है।

नदी में सिक्के फ़ेंकना-
साधारण रूप से नदी में सिक्के फ़ेंकने को गुडलक माना जाता है, लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक सच छिपा है। वर्तमान समय में जिस तरह से स्टील के सिक्के बनते हैं। प्राचीन काल में कॉपर के सिक्के बना करते थे। कॉपर हमारे शरीर के लिए बेहद आवश्यक धातु है जो पानी में घुल कर हमारे शरीर में प्रवेश करता है।



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