बड़ा दानी कौन
यह कहानी महाभारत की कुछ रोचक कहानियों में से एक हैं।
एक बार अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा : "दान में भी देता हु परन्तु संसार हमेशा कर्ण को ही दानवीर कर्ण के नाम से क्यों पुकारता हैं"
तब श्रीकृष्ण मुस्कुराये और अपनी माया से सोने के दो पहाड़ बना दिए और अर्जुन को उन पहाड़ की तरफ इशारा करके कहा : "इन दोनों में से सोना सभी गांव वालो में वितरित कर दो। "
श्रीकृष्ण की आज्ञा से अर्जुन ने सभी गाँववालो को एक पंक्ति में खड़ा किया और पहाड़ में से में सोना खोद-खोद कर उनको देने लगे , साथ ही बराबरी से यह भी ध्यान रखते की कोई दूसरी बार पंक्ति में न लग जाये , और यदि कोई ऐसा करते तो वह उसे दण्ड देते।
ऐसा करते करते दो या तीन दिन में वह थक गए और फिर कृष्णा से कहा की हैं माधव मुझसे अब नहीं हो रहा।
हमेशा की तरह श्री कृष्णा मुस्कुराये और कहा रहने दो, फिर उन्होंने अर्जुन के सामने ही कर्ण को बुलाया
और कर्ण से भी वही कहा जो अर्जुन से कहा था।
कर्ण ने श्रीकृष्ण की आज्ञा का पालन करते हुए सभी गाववालो की एकत्र किया और उनसे कहा
"की यह सोने के पहाड़ हैं आप लोग आपस में बाट लीजिये"
इतना कहकर कर्ण सोने के पहाड़ को बिना हाथ लगाए ही गाँव वालो को सुपुर्द करके चले गए।
यही अंतर था अर्जुन और कर्ण में
फिर श्री कृष्ण ने अर्जुन को समझाया की जब मेने तुम्हे यह सोना बाटने की लिए कहा तो तुमने उस पर अपना अधिकार करके यह समझ कर बाटने लगे की यह सोना तुम्हारा हैं जबकि कर्ण ने बिना छुए ही पूरा सोना दान कर दिया , इसलिए कर्ण को दानवीर कहा जाता हैं
आज भी हम सब कही न कही उन वस्तुओ की अकॉउटिंग करने लग जाते हैं जिनसे वास्तव में हमारा कोई सम्बन्ध ही नहीं होता हैं , देने वाला कोई और होता हैं और पाने वाला ओर कोई , हम तो मात्र जरिया होते हैं पाने और देने वाले के बिच में।
यह कहानी बहुत दिन पहले सोशल मीडिया से कही न कही पड़ी थी, आज अचानक से याद आई तो आप सभी को शेयर की। इस कहानी से जीवन में उतरने से बहुत से छोटे मोटे दुःख अपने आप ही मिट जायेंगे, स्मरण कीजिये कितनी ही बार हमने प्रभु के ऐसे कार्यो में हस्तक्षेप किया होगा।
यह महाभारत के अनसुने राज में से एक हैं, ऐसे बहुत से प्रसंग हैं एक एक करके में आपको आगे आने वाले लेख में आपके सामने प्रस्तुत करूँगा।
धन्यवाद
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